भारत की धीमी पड़ी आर्थिक वृद्धि दीर्घावधि संदर्भ में ‘बुलबुले’ के समान है
11 Oct 2017
वाशिंगटन। चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.7% रहने का अनुमान वास्तव में उसकी अर्थव्यवस्था की दीर्घावधि संभावनाओं में एक ‘अस्थायी व्यवधान’ की तरह है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के एक शीर्ष अधिकारी ने यह बात कही। नोटबंदी और माल एवं सेवाकर (जीएसटी) की वजह से उत्पन्न हुई समस्याओं के चलते आईएमएफ ने अपनी नवीनतम ‘विश्व आर्थिक’ रपट में भारत की आर्थिक वृद्धि 2017 में 6.7% रहने का अनुमान जताया है। यह उसके पूर्व के दो अनुमानों से 0.5% कम है।इस रपट के जारी होने के बाद आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार एवं शोध विभाग के निदेशक मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा, ‘‘अर्थव्यवस्था में इस साल आया यह धीमापन वास्तव में उसकी दीर्घावधि सकारात्मक आर्थिक विकास की तस्वीर पर एक छोटे से अस्थायी दाग की तरह है।’’ एक प्रेसवार्ता के दौरान यहां विभिन्न प्रश्नों के जवाब देते समय ऑब्स्टफेल्ड भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को लेकर आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा, ‘‘आम तौर पर भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हालत में है। सरकार ने पूरी ऊर्जा के साथ ढांचागत सुधार लागू किए हैं जिनमें जीएसटी शामिल है। इसका दीर्घावधि में लाभ होगा।’’आईएमएफ में आर्थिक सलाहकार मॉरिस ऑब्स्टफेल्ड ने कहा कि भारत को व्यापार की बेहतर शर्तों का लाभ मिला है। साथ ही मानसून के सामान्य होने का भी इसे लाभ मिला है क्योंकि इससे कृषि को फायदा मिला है। हालांकि इस वर्ष के लिए दो प्रमुख व्यवधान दिखते हैं।



चर्चित वीडियो
NEW LATEST NEWS