ग्रामोदय का कार्य निर्धारित समयसीमा और लक्ष्य के अनुरूप पूरा किया जाए: मोदी
11 Oct 2017
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि केंद्र सरकार गांवों के सामर्थ्य, रुचि और प्रकृति को जोड़कर ग्रामोदय की दिशा में काम कर रही है और कोई चीज थोपना नहीं चाहती है। ऐसे में विकास कार्यो को निर्धारित समय सीमा के भीतर और लक्ष्य के अनुरूप पूरा किये जाने की जरूरत है। नानाजी देशमुख जन्म शताब्दी समारोह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘ हम ग्रामीण विकास के कार्य को तेजी से लेना चाहते हैं। हम विकास करना चाहे, इतने से बात पूरी नहीं होगी, हम विकास की बात करें, इतने से बात पूरी नहीं होगी।हम कार्यो को समय सीमा के भीतर पूरा करें । योजनाएं जिस मकसद से शुरू की गई थी, उसमें कोई बदलाव नहीं आए।’’ उन्होंने कहा कि योजनाओं पर काम करते हुए यह ध्यान रखना होगा कि वह इस बात पर आधारित नहीं हो कि उसमें कितना काम किया (आउटपुट) गया बल्कि इसका परिणाम (आउटकम) क्या रहा। हमने कितना बजट खर्च किया, इस पर जोर होने की बजाए, यह ध्यान रखा जाए कि लक्ष्य क्या था और हमने कितना कार्य पूरा किया। मोदी ने कहा कि 70 साल में जो विकास की गति रही, साल 2022 में जब देश की आजादी के 75 साल पूरे होंगे तब हम सात दशकों से सपने संजो कर बैठे व्यक्ति की आशा आकांक्षा को हम पूरा सकें, हम इस लक्ष्य के साथ काम करना है। इससे हिंदुस्तान के आखिरी छोर के व्यक्ति तक भी उसका हक पहुंचाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीणों के सुझाव के आधार पर ही ग्रामीण विकास के रोडमैप पर काम हो रहा हैं। सिर्फ विकास करने से बात पूरी नहीं होगी, सिर्फ अच्छा करने से बात पूरी नहीं होगी ..... चीज़ों को समय-सीमा में करने से ही काम अच्छा होगा। भारत सरकार इनके सपनों के आधार पर ग्रामीण भारत के विकास की ओर आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि गांव का विकास कैसे हो ? इसके लिए सरकार गंभीर है। हमारा प्रयास है कि गांव की अपनी जो शक्ति है, सबसे पहले उसी को जोड़ते हुए विकास का मॉडल बनाया जाए। जो सुविधाएं शहर में हैं वैसी अगर हम गांव में दे दें तो एक जीवन स्तर में बदलाव आएगा जो लोगों को गांव में रहने के लिए प्रेरित करेगा। उन्होंने कहा कि गांव आत्मनिर्भर बने, गांव गरीबी से मुक्त बने, गांव बीमारी से मुक्त बने। गांव में जातिवाद का जहर समाप्त हो क्योंकि जातिवाद का जहर गांव को बिखेर देता है, विकास के सपने को चूर चूर कर देता है। गांव समृद्ध बने और सभी को जोड़ने वाला बने, ऐसे गांव के विकास के लिये भारत सरकार योजनाएं तैयार कर रही है और इस दिशा में प्रयास कर रही है। गांव को आत्मनिर्भर करना जरुरी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में केवल वोट का अधिकार नहीं है, बल्कि जनता की भागीदारी भी काफी जरूरी है। सरकार हर योजना की समीक्षा कर रही है। मोदी ने कहा कि हमारे देश में संसाधनों के कारण आखिरी छोर के इंसान को हम कुछ नहीं दे पाते हैं, इस बात से आज भारत सरकार में आने के बाद मैं सहमत नहीं हूं। हमारे देश में संसाधनों की कोई कमी नहीं है, अगर कोई कमी है तब वह सुशासन की है।लोकतंत्र तभी सफल है जब जनभागीदारी से विकास हो और सरकार के साथ जनता का संवाद हो। ऐसा अनुभव रहा है कि जिन राज्यों में ज्यादा गरीबी है वहां पर मनरेगा का काम कम हो रहा है। जिन राज्यों में सुशासन है वहां मनरेगा का ज्यादा काम होता है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास के लिये सुशासन हमारी सरकार का मंत्र है



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